प्रेम की चौपाई अब गजल होने लगी
जिक्र उनका क्या हुआ, आंखें सजल होने लगी
टूटते तारों से मांगा था भला मिलता भी क्या
गीत अपरिमित गा रही सांसे सिफर होने लगी।।
जिक्र उनका क्या हुआ, आंखें सजल होने लगी
टूटते तारों से मांगा था भला मिलता भी क्या
गीत अपरिमित गा रही सांसे सिफर होने लगी।।
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