काफिर नहीं हो जाता सिर्फ बुतपरस्ती से कोई
वरना, मुसल्लम ईमान में इश्क भी अज़ाब होता
बुरे वक्त में भी कायम रहा अपनी जहीनियत पर
वरना जो मसाइल था उसमें मैं भी बेहिसाब होता
जानता हूं, मांगूगा तो खुदा सब दे देगा मुझे
वरना, मुसल्लम ईमान में इश्क भी अज़ाब होता
बुरे वक्त में भी कायम रहा अपनी जहीनियत पर
वरना जो मसाइल था उसमें मैं भी बेहिसाब होता
जानता हूं, मांगूगा तो खुदा सब दे देगा मुझे
मांगता नहीं कुछ वरना मैं भी बदमिजाज होता
मैं बेअदब नहीं, बेइंतिहाई बदगुमान दारोगा की थी
गरीब निकला, वरना मेरे जख्मों का भी हिसाब होता
मैं बेअदब नहीं, बेइंतिहाई बदगुमान दारोगा की थी
गरीब निकला, वरना मेरे जख्मों का भी हिसाब होता
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