ठंडे हाथों की तपिश अब तलक तारी हैं
कान के पीछे फूंकों की कुछ खुमारी है
नजर से नजर पढऩे का सिलसिला था जो
शुरू कब का हुआ और आज भी जारी है
ठुनकियों का जवाब कुछ चिकोटियां थीं
एक पल को लगा सारी कायनात हमारी है
सासों का सरगम स्पर्शों को खुद आतुर है
पास-पास हैं फिर भी दूर होने की तैयारी है
कान के पीछे फूंकों की कुछ खुमारी है
नजर से नजर पढऩे का सिलसिला था जो
शुरू कब का हुआ और आज भी जारी है
ठुनकियों का जवाब कुछ चिकोटियां थीं
एक पल को लगा सारी कायनात हमारी है
सासों का सरगम स्पर्शों को खुद आतुर है
पास-पास हैं फिर भी दूर होने की तैयारी है
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