Monday, November 7, 2011

उंगलियां

मैं कैसे कह दूं अपनी उंगलियों से तू मत गा प्रेम गीत
जब यह कलम बनती हैं तो कमाल लिखती हैं
किसी की उंगलियां छू लें तो दिल का हाल लिखती हैं
कहीं आंखों पर ठहरती हैं तो उसके सवाल लिखती हैं
और अपने पर आ जाएं तो फिर बातें बेमिसाल लिखती हैं

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