हाशिये पर आदमी इस पे हम क्या कहें
बात कोरी कागजी इस पे हम क्या कहें
अदम के गांव में अब भी उड़ रही धूल है
तब भी मौसम गुलाबी इस पे हम क्या कहें
कल्लू की गली में आज भी अँधेरा है
हाकिम हैं दुनियाबी इस पे हम क्या कहें
महफ़िल है शबाब है शराब है कबाब है
जुम्मन की फूटी रकाबी इस पे हम क्या कहें
तुमने तो आँख में बस काजल देखा है
गीले नयन गुलाबी इस पे हम क्या कहें
चुगली कर रही लकीर काली सी गाल पर
आँखें रहीं रुआंसी इस पे हम क्या कहें
बात कोरी कागजी इस पे हम क्या कहें
अदम के गांव में अब भी उड़ रही धूल है
तब भी मौसम गुलाबी इस पे हम क्या कहें
कल्लू की गली में आज भी अँधेरा है
हाकिम हैं दुनियाबी इस पे हम क्या कहें
महफ़िल है शबाब है शराब है कबाब है
जुम्मन की फूटी रकाबी इस पे हम क्या कहें
तुमने तो आँख में बस काजल देखा है
गीले नयन गुलाबी इस पे हम क्या कहें
चुगली कर रही लकीर काली सी गाल पर
आँखें रहीं रुआंसी इस पे हम क्या कहें
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