सखी आयो रे फागुन बावरो मोरे पिया अबहूँ नहीं आये
सखी जानो रे साजन सांवरो मोरे हिया अगन लगाए
सखी आयो रे....
पीली पीली सरसों लहकी चटख रंग है छाया
महकी महकी अमराई है आम भी है बौराया
फागुन की कोयल भी कूके मोरे पिया सुनहुँ नहीं आये
सखी आयो रे....
जानूँ न काहे सांवरा बन बैरन जिया जलाए
सावन बीतो ऐसहीं मोरा मन भी भीगा जाये
मेघ बन अंखियां भी बरसीं मोरे पिया तबहूं नहीं आए
सखी आयो रे...
चिट्ठी पाती संदेशा भर कागद बहुत भिजायो री
कजरारी भाषा पढ़ लें सो काजर भी ढरकायो री
ह्रदय अंदेशा भर भर धड़के काहे संदेशा नहीं भिजवाये
सखी आयो रे....
बृजेश...
सखी जानो रे साजन सांवरो मोरे हिया अगन लगाए
सखी आयो रे....
पीली पीली सरसों लहकी चटख रंग है छाया
महकी महकी अमराई है आम भी है बौराया
फागुन की कोयल भी कूके मोरे पिया सुनहुँ नहीं आये
सखी आयो रे....
जानूँ न काहे सांवरा बन बैरन जिया जलाए
सावन बीतो ऐसहीं मोरा मन भी भीगा जाये
मेघ बन अंखियां भी बरसीं मोरे पिया तबहूं नहीं आए
सखी आयो रे...
चिट्ठी पाती संदेशा भर कागद बहुत भिजायो री
कजरारी भाषा पढ़ लें सो काजर भी ढरकायो री
ह्रदय अंदेशा भर भर धड़के काहे संदेशा नहीं भिजवाये
सखी आयो रे....
बृजेश...
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