Monday, September 19, 2016

ठोस मोम

देखो तुम्हारे प्रेम की मद्धम आंच में
कैसे मैं पिघल रहा हूँ कतरा कतरा
मोम की तरह
लेकिन जरा धोखा भी है
इस चूल्हे से उतरते ही मैं
फिर समेट लेता हूँ अपना वजूद
ठंडी होते ही ये आंच
मैं फिर बन जाता हूँ मोम
लेकिन ठोस

Sunday, May 1, 2016

दिल पत्थर

अब दिल से पत्थर का काम लेते हैं
दर्द होता है फिर भी तेरा नाम लेते हैं
मयकदा जानता है नशे की सच्चाई
हमप्याले मुझे जाम पर जाम देते हैं
तेरी महफ़िल से उठने की जुर्रत कहाँ
तेरा तीर-ए-नज़र दिल से थाम लेते हैं
रहगुज़र की बात क्या बताऊँ भला
मिरे क़दमों से चलने का काम लेते हैं
इमान जानता है के हमने क्या कहा
ज़माने के कहे पर मिरा नाम लेते हैं
खुश्क सी जिंदगी है तेरे जाने के बाद
बहारेयाद के लिए अश्कों से काम लेते हैं
बृजेश...

पहली लाइन बाजीराव मस्तानी फ़िल्म का संवाद है।

हर शख्स का किरदार है

संशोधित

कोई है खबरनवीस कोई नगमा निगार है
कुछ है जो सियासत इनकी तलबगार है
इनकी कलम सियासी हाथों ने थाम रखी
आइने के पीछे हर शख्स का किरदार है
सच कहाँ आ रहा अब खबरनवीसी में
कोई झंडाबरदार है तो कोई तरफदार है
कोई राम को थामे कोई काबा लिए बैठा
हो रहा सर्वे यहाँ कितना कौन असरदार है
बिलबिलाता फिर दिखेगा भूख से बच्चा वही
ये चुनावी साल है वो चुनावी इश्तिहार है
रोशनाई काली और हर्फ़ लिखे बस सुनहरे
विज्ञापनों के बोझ तले आज का अख़बार है
भूख भय भ्रष्टाचार इनसे हम लड़ जायेंगे
कलम लिखे जंग जुबानी धर्म ही हथियार है
हाल कहाँ बदला जनाब लोग ही बदल गए
चेहरा चरित्तर एक सा सब एक सी सरकार है
बृजेश....

लड़कियां गाएंगी गीत नया

आज हृदय में फिर आग का स्वर है
कई दिनों बाद गीत फिर कोई मुखर है
ख़त्म कहाँ हुआ आदम होने का गरूर
हव्वा पर जारी आज भी उसका कहर है
जाने किन खिड़कियों से आएगी रोशनी
बंद हैं उसके दरवाजे बंद सारा घर है
याद रखना के अँधेरा जब भी घना होगा
ये भी याद रखना रात का अंतिम पहर है

तुम्हारे लिए बस इक तादाद हैं ये लड़कियां
बड़े कमजर्फ सा इक एहसास हैं ये लड़कियां
रोशनी मांग ली गर तो बड़ी गुनहगार हो गईं
बोलते हो बेहया बदहवास हैं ये लड़कियां
तुम्हारी सोच के हर हथौड़े की चोट उनपर
याद रखना तुम्हारी सृष्टि पर तुम्हारा कहर है

फिर आग के स्वर ले जब वो गाएंगी गीत नया
शब्द बाण सब जल उठेंगे वो लेंगी जीत जहाँ
भले छिपाकर रखो तुम उनको बंद अंधेरे कमरे में
सूरज तब तो झांकेगा जब जर्जर होगी दीवार वहां
सोचो घुटन भरे अहसासों से तुम कैसे मुक्ति पाओगे
रखना याद तुम्हारे पास तब केवल जर्जर सा घर है

आसमां तक जाएँगी ये भी होगा इक दिन
कैद तूफां कर लाएंगी ये भी होगा इक दिन
अपनी ताकत  रख लेना अपने ही तक तुम 
हौसला हथियार उनका ये भी होगा इक दिन
तुमने आँगन के पिंजरे में उनको रखना चाहा है
मत भूलना हिम्मत का उनकी पीठों पे अब पर है
बृजेश.....

Saturday, April 9, 2016

हाल वही पुराना सा

तुमसे दिल का हाल कहूँ, ये अच्छी बात नहीं
एक ही तुम, एक ही दिल और हाल वही पुराना सा
अपनी आँखों में मंजर अब भी वैसे ही हैं
वो ही चेहरा, वही शिकन और उस दिन के तेरा जाना सा
कड़ी धूप में तपता चेहरा कुछ कुछ सिंदूरी भी
वो ही दिन, वैसी ही शामें और चेहरे पर रातो का आना सा
हर्फ चुने, बहर बनाई पर कुछ छूट गया
वो ही सरगम, ताल वही और मैं बिखरे सुर का गाना सा
बृजेश....

Saturday, March 26, 2016

हाशिये पर आदमी

हाशिये पर आदमी इस पे हम क्या कहें
बात कोरी कागजी इस पे हम क्या कहें
अदम के गांव में अब भी उड़ रही धूल है
तब भी मौसम गुलाबी इस पे हम क्या कहें
कल्लू की गली में आज भी अँधेरा है
हाकिम हैं दुनियाबी इस पे हम क्या कहें
महफ़िल है शबाब है शराब है कबाब है
जुम्मन की फूटी रकाबी इस पे हम क्या कहें
तुमने तो आँख में बस काजल देखा है
गीले नयन गुलाबी इस पे हम क्या कहें
चुगली कर रही लकीर काली सी गाल पर
आँखें रहीं रुआंसी इस पे हम क्या कहें

बचपन वाली वही लड़ाई....

आओ चलो फिर लड़ते हैं बचपन वाली वही लड़ाई
सिर फुटौव्वल मन मनौव्वल फिर से हम भाई भाई।

पों पों की आवाजों पर जब सरपट दौड़ लगाते थे
तेरी हो या मेरी चवन्नी सब पर हम हक़ जतलाते थे
फिर समझौता हो जाता था मिलके खाते बर्फ मलाई
आओ चले फिर......

चोरी चोरी बागों में हम कैसे मिलकर सेंध लगाते थे
अपनी चोरी तुम पर डाली हम चुपके से छुप जाते थे
अब मन का वो कोना सूना है सूनी है अपनी अमराई
आओ चलो फिर....

अच्छी लगती थी मुझको बस कवर चढ़ी तेरी किताबें
पेन तुम्हारा ही अच्छा है कई दफे उसे हम ले भागे
लगती थी डांट बुरी तुम्हारी पर अच्छी थी वही पढ़ाई
आओ चलो फिर....

बड़े हुए हम सब तो वो सब कुछ सपना लगता है
तारीखें बदलीं हम बदले सब कुछ बदला लगता है
बदले कैलेंडर बदली घड़ियां ये वक़्त कौन सा ले आईं
आओ चलो फिर ...

तेरा मेरा करते अब हम भूल चुके हैं बचपन को
आँगन में खड़ी दीवारों सा बाँट चुके हैं अपने मन को
ऐसे सवालों में उलझे हैं अब क्यों ना तेरे हिस्से माँ आई
आओ चलो फिर....