Sunday, May 1, 2016

हर शख्स का किरदार है

संशोधित

कोई है खबरनवीस कोई नगमा निगार है
कुछ है जो सियासत इनकी तलबगार है
इनकी कलम सियासी हाथों ने थाम रखी
आइने के पीछे हर शख्स का किरदार है
सच कहाँ आ रहा अब खबरनवीसी में
कोई झंडाबरदार है तो कोई तरफदार है
कोई राम को थामे कोई काबा लिए बैठा
हो रहा सर्वे यहाँ कितना कौन असरदार है
बिलबिलाता फिर दिखेगा भूख से बच्चा वही
ये चुनावी साल है वो चुनावी इश्तिहार है
रोशनाई काली और हर्फ़ लिखे बस सुनहरे
विज्ञापनों के बोझ तले आज का अख़बार है
भूख भय भ्रष्टाचार इनसे हम लड़ जायेंगे
कलम लिखे जंग जुबानी धर्म ही हथियार है
हाल कहाँ बदला जनाब लोग ही बदल गए
चेहरा चरित्तर एक सा सब एक सी सरकार है
बृजेश....

No comments:

Post a Comment