आज हृदय में फिर आग का स्वर है
कई दिनों बाद गीत फिर कोई मुखर है
ख़त्म कहाँ हुआ आदम होने का गरूर
हव्वा पर जारी आज भी उसका कहर है
जाने किन खिड़कियों से आएगी रोशनी
बंद हैं उसके दरवाजे बंद सारा घर है
याद रखना के अँधेरा जब भी घना होगा
ये भी याद रखना रात का अंतिम पहर है
तुम्हारे लिए बस इक तादाद हैं ये लड़कियां
बड़े कमजर्फ सा इक एहसास हैं ये लड़कियां
रोशनी मांग ली गर तो बड़ी गुनहगार हो गईं
बोलते हो बेहया बदहवास हैं ये लड़कियां
तुम्हारी सोच के हर हथौड़े की चोट उनपर
याद रखना तुम्हारी सृष्टि पर तुम्हारा कहर है
फिर आग के स्वर ले जब वो गाएंगी गीत नया
शब्द बाण सब जल उठेंगे वो लेंगी जीत जहाँ
भले छिपाकर रखो तुम उनको बंद अंधेरे कमरे में
सूरज तब तो झांकेगा जब जर्जर होगी दीवार वहां
सोचो घुटन भरे अहसासों से तुम कैसे मुक्ति पाओगे
रखना याद तुम्हारे पास तब केवल जर्जर सा घर है
आसमां तक जाएँगी ये भी होगा इक दिन
कैद तूफां कर लाएंगी ये भी होगा इक दिन
अपनी ताकत रख लेना अपने ही तक तुम
हौसला हथियार उनका ये भी होगा इक दिन
तुमने आँगन के पिंजरे में उनको रखना चाहा है
मत भूलना हिम्मत का उनकी पीठों पे अब पर है
बृजेश.....
Bhale bandh rakho unko band kamre me, suraj tab to jhAkega jab jarjar hogi deewar wahan ... Sundar. Ab to dewar jarjar hone ka intezar bhi ni hai ... Deewar todne ka damkham hai.
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