Thursday, January 13, 2011

रोशनी के लिए

डाल दो मुझको मिटटी के दिए में
उम्र भर जलता रहूँगा.
दूंगा प्रकाश सुरभित सुंगधित मैं
गहन तिमिर हरता रहूँगा.
वेदना न होगी मुझे
यूं उम्र भर जलने की
प्रकाश के हेतुक स्वयं
अखंड ज्योति बन जलता रहूँगा.
या यज्ञ में तुम होम कर दो मुझे
आहुति की समिधा बनाकर
यज्ञ पूर्ण हो बलिदान का
पूर्णाहुति बन जलता रहूँगा.
या कर दो चिर समाधि में लीन मुझको
अनंत का एक कण बनाकर
पर गहन तिमिर हरने के हेतुक
पुनश्च प्रकाश बन जलता रहूँगा.

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