Thursday, January 12, 2012

मैं आईना हूं

 मैं आईना हूं, बेबाक हो कर सामने आ जाना
शफ्फाक हो तुम अगर, मैं बेदाग नजर आऊंगा
किरदारों से मत हो जाना कहीं तुम पर्दानशीं
तफ्सील से पढ़ लेना खुली किताब नजर आऊंगा
हर्र्फों के मायने बिला शक ईमान से बयां करना
खुदगर्जी से मत पढऩा मुझे वरना बदल जाऊंगा
गुजारिश यह भी है सियासतों से दूर रखना मुझे
सच का सिला पत्थर होगा और बिखर जाऊंगा॥

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