Saturday, January 28, 2012

भविष्य

खेलने की उम्र में जो पत्थर तोड़ते दिख रहे हैं
सियासतदां इन्हें ही भविष्य देश का कह रहे हैं
कंधों पर बस्ते की जगह बेलदारी केबोझ लदे हैं
देश केभविष्य हैं और ढाबों में बर्तन धो रहे हैं

किरदार

तुमने कह तो दिया मैं हर रोज किरदार बदलता हूं
चलो सच बोलता हूं, मैं कुछ भी नहीं छिपाऊंगा
मैं आइना हूं, अपनी फितरत कैसे बदल दूं भला
तुम किरदार जैसे हो मैं वैसा ही नजर आऊंगा।

Thursday, January 12, 2012

मैं आईना हूं

 मैं आईना हूं, बेबाक हो कर सामने आ जाना
शफ्फाक हो तुम अगर, मैं बेदाग नजर आऊंगा
किरदारों से मत हो जाना कहीं तुम पर्दानशीं
तफ्सील से पढ़ लेना खुली किताब नजर आऊंगा
हर्र्फों के मायने बिला शक ईमान से बयां करना
खुदगर्जी से मत पढऩा मुझे वरना बदल जाऊंगा
गुजारिश यह भी है सियासतों से दूर रखना मुझे
सच का सिला पत्थर होगा और बिखर जाऊंगा॥

Saturday, January 7, 2012

सियासत का जख्म

कड़वाहट खूब देते हैं, यह आदत किसकी है
हिस्सों में बांट देते हैं, यह सियासत किसकी है
हिस्सों के जख्म पर मरहम भी देख के लगते हैं
सुखन महसूस करते हैं, यह नफासत किसकी है....