अपनी दुश्मनी के रंग कुछ ऐसे मिले हुए
कभी हम सांप बने तो कभी तुम नेवले हुए
दांत एक दूजे पर हम ज़रा सँभाल कर रखे
दोनों को पता है यह तेज गरल से भरे हुए.
राजनीति और नौकरशाही के गठजोड़ का यही असली रंग है. कष्ट यह है कि मीडिया भी इस नूराकुश्ती का लुत्फ़ लेते हुए अपना फायदा तलाश रही है.
बृजेश kumar दुबे
कभी हम सांप बने तो कभी तुम नेवले हुए
दांत एक दूजे पर हम ज़रा सँभाल कर रखे
दोनों को पता है यह तेज गरल से भरे हुए.
राजनीति और नौकरशाही के गठजोड़ का यही असली रंग है. कष्ट यह है कि मीडिया भी इस नूराकुश्ती का लुत्फ़ लेते हुए अपना फायदा तलाश रही है.
बृजेश kumar दुबे